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लेखनी प्रतियोगिता -10-Jun-2022कौमी एकता

व्यंग्य
कौमी एकता
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आइए! हम सब मिलकर
आज फिर कौमी एकता की बात करें,
अमन, भाईचारा, सद्भाव का विकास करें।
पर थोड़ा ठहर जाइए
पहले माहौल बिगाड़ने का
कुछ तो इंतजाम करें।
आइए! हम सब पहले लड़ते झगड़ते हैं
किसी का सिर फोड़ते हैं
किसी का घर, मकान, दुकान जलाते हैं
किसी की मां, बहन, बेटी का
सरेआम अपमान करते हैं
या फिर कुछ न करें तो
किसी मंदिर, मस्जिद, गिरिजा, गुरुद्वारे पर
बवाल का अंगार बरसाते हैं।
कुछ हम खोते हैं,
कुछ आप भी खो लीजिए
फिर हम सब मिल बैठकर
कौमी एकता की दुहाई देते हैं
अमन चैन भाईचारे का पाठ पढ़ाते हैं.
राजनीतिज्ञों के जाल में उलझे
मुंह में राम बगल में छुरी सदृश
कौमी एकता का नया संदेश देते हैं,
बहुत कुछ खोकर , थोड़ा पाने का इंतजाम करते हैं,
कौमी एकता का ढोंग जरा अच्छे से करते हैं
गले लगते, लगाते हैं, पीठ में छुरा घोंपते हैं
कौमी एकता की नई इबारत लिखते हैं।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में सब भाई भाई
ये संदेश अखबारों, चैनलों, सोशल मीडिया पर
बैठकों गोष्ठियों, बयानों के माध्यम से
पूरी दुनिया को बताते हैं
कौमी एकता दिवस, सप्ताह, पखवारा ही नहीं
कौमी एकता वर्ष भी मनाते हैं
अपने दिल को बहलाते हैं
कौमी एकता का नारा चीख चीखकर लगाते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक, स्वरचित

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9 Comments

Khushbu

14-Jun-2022 08:47 PM

बहुत ही सुन्दर

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Seema Priyadarshini sahay

11-Jun-2022 04:40 PM

बेहतरीन रचना

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Abhinav ji

11-Jun-2022 09:20 AM

Nice👍

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